बड़ी सोच आदमी को बड़ा बनाती है . यह केवल कहावत नहीं इसे के बी सी जैक्पोत विजेता सुशिल ने सच साबित कर दिया .चंपारण के एक बहुत ही गरीब परिवार के सुशिल की पढाई बहुत ही परेशानी में हुई .सुरु से ही कुछ कर गुजरने की तमन्ना थी . जीवन यापन के लिए मनरेगा में कम्पूटर आपरेटर का काम शुरू किया .उश्के साथ काम करने वाले घुश और ऊपर की कमी से मुर्गा खाते लेकिन सुशिल सुखी रोटी और कभी कभी भूखे भी रह जाता लेकिन कभी नाजायज पीसी के चक्कर में नहीं पड़ा .अर्जुन की तरह उश्का टार्गेट था के बी सी का हात सीट . ग्यारह साल के मेहनत के बाद उसने अपनी सोच को हकीकत में बदल दिया .